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Thursday, February 2

अकेला !





चला था इस दुनिया की भीड़ मैं साथ ,
साहिल पे आकर अकेला रह गया !
साथ तो चले थे रंजो ग़म के साथी,
जब ग़म मयस्सर हुआ तो तनहा सह गए !
आ फंसे जब हम जीवन के मझधार में ,
नैय्या तो साथ थी मांझी डुबो गया ! 


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