~ My Diary Speaks ~
When words on a page mean more than they seem,when ink on a paper spells my dream,when lines are hopes which my hand seeks,my mute wishes also wish to wonder,as my diary speaks..!
Sunday, February 5
Saturday, February 4
मेरी अनगिनत ख्वाहिशे
उफ़ !! ये मेरी अनगिनत ख्वाहिशे ,
करू गौर तो किन किन पर ?
दू तवज्जो तो में किस को ?
की एक तामीर नहीं हुई,
और अगली खड़ी है सिरहाने पर,
एक रूठी हुई है ,
और अगली अडी है मनाने में !
न जाने क्यों इन्हें लगता है की,
मैं एक जरिया हू इनके अंजाम का ,
न जाने क्यों सोचती है की ,
में सुबह हू इनके शाम का !
अरे जरा रहम तो करो की,
में राही हू मेरा कोई मकाम नहीं!
एक छत सी तो है पर ,
रात गुजारने को कोई मकान नहीं !
दिल में लगी आग से ,
आँखों की नमी जलती रही ,
इन ख्वहिशो के ताने बने में अब ,
मुझे अपनी ही कमी खलनी लगी !
Thursday, February 2
Tuesday, December 27
मेरी प्यारी ज़िंदगी
हर मोड़ पे सिग्नल तोडती यह ज़िन्दगी !
कही रात के अंधेरो मैं रोशन यह ज़िन्दगी,
कही दिन के उजाले मैं दम तोडती यह ज़िन्दगी !
अमीरों के लिए शौक यह ज़िन्दगी,
गरीबो के लिए खौफ यह ज़िन्दगी ,
कही गरम रजाई मैं सोती ,मासूम सी यह ज़िन्दगी ,
कही ठण्ड मैं ठिठुरते , फूटपाथ मैं जागती यह ज़िन्दगी !
कोई हंस दे तो खिलखिलाती यह ज़िन्दगी,
मैं जरा सा रो दू तो मुझे चिढाती यह ज़िन्दगी ,
बीते कल को भुलाओ, तो पल पल याद दिलाती यह ज़िन्दगी ,
आये जो वह कभी ख्वाबो मैं, सुबह उसे भुलाए यह ज़िन्दगी !
हर रोज़ नए पहेलियाँ बुझाती यह ज़िन्दगी ,
मैं जितना सुलझाऊ ,उतनी ही उलझती यह ज़िन्दगी !
Monday, September 26
बिटिया !
मातृत्व का ही एक रूप होती है,
जिसने भी इन्हें अपनाया है,
जीवन में कितनी खुशियां पाया है !
बिटिया जब जब मुस्काती है,
बगिया में सौ फूल खिलते है,
पर जब भी वो रोती है,
संग उसके सारे मौसम रोते है !
बिटिया के हक में वैसे,
खुशिया कम ही आती है ,
भाई के लिए फिर भी वह,
अपनी जान लुटाती है !
कितनी समझदार कहलाती है ,
घर को सजाने के लिए,
अपनी ही मुस्कान चुराती है !
कही किसी कोने में आज भी,
एक बिटिया ने जन्म लिया होगा,
आँख खुलने से पहले ही,
एक इंसान ने मार दिया होगा !
एक उम्मीद है एक दिन ,
में भी "बिटिया" धन कमाऊंगा ,
लाड प्यार से उसको अपनी,
पलकों पे बिठाऊंगा !
सारा जीवन लुटाऊंगा,
उसकी एक ख्वाइश के लिए,
सारी दुनिया से लड़ जाऊंगा !
एक ऐसे ही प्यारी बिटिया को,
मैंने भी कही से जाना है,
मेरी छोटी छोटी खुशियों को,
एक बड़ा सा खज़ाना है !
यही सोच में रहता हु,
जाने कहा से वह आयी है,
नाम ना पूछो उस "बिटिया " का,
बाबा जिसके साईं है !
यू तो बिटिया अपने जीवन में,
सबको ही अपनाती है,
इतना सब है फिर भी क्यों,
पराया धन वह कहलाती है !
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